पूजा बिश्नोई कौन है? WHO IS POOJA BISHNOI?
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पूजा बिश्नोई
आज हम बात करने जा रहे हैं एक लड़की की, जिसने सच में साबित कर दिया कि उम्र कोई मायने नहीं रखती|
इनका नाम है पूजा बिश्नोई जी।
उनके कोच ने बताया कि वह देश की सबसे कम उम्र में सिक्स पैक एब्स वाली लड़की है। वह जोधपुर के बिश्नोई गांव से है पूजा के पिता अशोक बिश्नोई जी किसान है और माता मीमा देवी जी ग्रहणी है। यह अब 9 साल की होगी और इनका भाई 8 साल का।
अब इनके कुछ रिकॉर्ड्स के बार में बताते हैं
पूजा बिश्नोई नें बनाया है जोधपुर मैराथन में रिकॉर्ड
पूजा जी ने बताया कि कोच श्रवण की तैयारी के बदौलत जोधपुर मैराथन में 48 मिनट में 10 किलोमीटर का वर्ल्ड रिकार्ड बनाया है, इस तरह की प्रतिस्पर्धा के लिए वह 4 साल की उम्र से ही प्रेक्टिस कर रही है। अंडर-10 कैटेगरी में यह 12.50 मिनट में 3 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए एक विश्व रिकार्ड बनाया है।
वह नियमित 7-8 घंटा दौड़ लगाने के साथ कई प्रकार के व्यायाम भी करती हैं। पूजा जी कहती है कि उनका सपना 2024 ओलंपिक जीतना है।
इसके लिए बहुत कड़ी मेहनत कर रही है। इतनी उम्र में हमको याद भी नहीं होगा कि हम क्या-क्या करते थे ।
वह साथ में स्टडी वी करती है वह 4th कक्षा में पढ़ती है और उनका जज्बा सच में तारीफ के काबिल है।
पूजा बिश्नोई की दिनचर्या
वह तड़के 3:00 बजे ही उठ जाती है सुबह 7:00 बजे तक प्रेक्टिस करने के बाद स्कूल जाती है। इसके बाद स्कूल का कार्य समाप्त कर शाम 4:00 बजे फिर प्रेक्टिस के लिए जुट जाती है, रात 8:00 बजे तक प्रेक्टिस करने के बाद ही आराम करती है। आजकल ऑनलाइन स्टडी चल रही है तो उसके हिसाब एडजस्ट कर लेती है। वह पढ़ाई के लिए ट्यूशन में विश्वास नहीं रखती, और ना ही ने बच्चों की तरह उन्हें टीवी या मोबाइल आदि देखने का शोक है। वह अपनी डाइट और ट्रेनिंग को सबसे ज्यादा प्रियोरिटी देती है।
साथ ही उन्हें क्रिकेट बोलिंग का भी शौक है, वह बोलिंग में भी अपने आपको प्रिशिक्षित कर रही है और वह विराट कोहली सर को अपना आइडल मानती है।
आपको एक बात और बता दें की उनका मुख्य लक्ष्य यह नहीं है कि मेडल जीतना है, उनका मुख्य लक्ष्य यह है कि जिस भी फील्ड में वह जाए तो रिकॉर्ड बन जाए। इतना खुद को तैयार कर लेना, अपने आप में ही बहुत बड़ी इंस्पिरेशन है।
विराट कोहली फाउंडेशन से मिल रही है मदद
इंस्टाग्राम पर पूजा जी के जज्बे को देखकर विराट कोहली फाउंडेशन ने उनके खर्च उठाने का फैसला लिया हैफाउंडेशन से यात्रा, पोषण, प्रशिक्षण आदि के दैनिक खर्चों का वाहन किया जाता है। वह काफी खुश है कि उन्हें इतनी बढ़िया फाउंडेशन से मदद मिल रही है। उनका सोने का समय लगभग 6 घंटे का होता है जिसमें वह 9:00 बजे सो जाती है और सुबह 3:00 बजे उठ जाती है। जब जीवन में कोई बड़ा लक्ष्य हो तो भी यह सब हो ही जाता है।
पूजा बिश्नोई का छोटा भाई भी कर रहा है मेहनत
पूजा बिश्नोई जी कहती है कि माता-पिता प्रत्येक प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करते हैं। 4 वर्षीय छोटा भाई कुलदीप भी खेल में करियर बनाने को लेकर काफी उत्सुक है। वह अपनी बहन के साथ कड़ी मेहनत कर रहा है। दोनों भाई-बहन ट्रेनिंग में एक दूसरे की मदद करते हैं।
दोनों को ही खेल में विशेषकर एथलेटिक्स का शौक है।
कोच का सपना पूरा करने की कोशिश
पूजा जी अपने कोच को इंस्पिरेशन मानती है। श्रवन बुढिया ने बताया कि वह भी अंतरराष्ट्रीय एथलीट बनने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन चोट लगने के कारण उनका यह सपना पूरा नहीं हो पाया। आज वह अपना-अपना भांजे भांजी में पूरा होते देखते हैं। श्रवण बुढिया कोच होने के साथ-साथ उनके मामा जी भी है। वह एक कोच के तौर पर पूजा और कुलदीप को प्रशिक्षण दे रहे हैं, यही नहीं गांव के गरीब तबके के होनहार खिलाड़ियों को निशुल्क प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। और उनके प्रशिक्षित खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर बहुत ही अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। पूजा बिश्नोई जी को विश्वास है कि उनका सपना पूरा होगा और उनकी मेहनत और जज्बे को देखकर यही लगता है हमें भी।
पूजा बिश्नोई जी और उनके मामा की कड़ी मेहनत
दुबई की सरकार को तरफ से पूजा बिश्नोई जी आयरन अवार्ड से नवाजा गया है, इनको और भी बहुत सारे अवार्ड मिले चुके हैं। और बहुत सारे राह देख रहे हैं।
हम भी चाहते हैं एक दिन पूजा जी पूरी दुनिया के सामने भारत को ऊपर लेकर आए और नाम रौशन करें।
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