शॉर्ट वीडियोस के दुष्प्रभाव |Short videos can make you disabled in hindi
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शॉर्ट वीडियोस के दुष्प्रभाव | Effects of short videos in hindi
कुछ लोगों के लिए शॉर्ट वीडियोस (short videos) एंटरटेनमेंट का जरिया हो सकती है, तो कुछ के लिए सीखने का, तो कुछ के लिए टाइमपास करने का। बच्चे और बड़े दोनों शॉर्ट वीडियोस के एडिक्ट(addict) हो रहे हैं। इस लेख (article) में हम जानने की कोशिश करेंगे कि शॉर्ट वीडियोस किस तरह से हमारी जिंदगी को प्रभावित कर रही है?
शॉर्ट वीडियोस अपनी तरफ खींचता (अट्रैक्ट) क्यों करता है?
पहले हम जानते हैं कि यह हमें अपनी तरफ खींचता (अट्रैक्ट) क्यों करता है? क्यों हमें मजबूर कर देता है इस पर घंटो बताने के लिए?
साइकोलॉजिकल ट्रिक्स
इंस्टाग्राम रील (reel) हो, या मौज (moj), जोश (josh), टकाटक (takatak), या यूट्यूब शॉर्ट्स (shorts), इन कंपनीज में डेवलपर के साथ साइकोलॉजिस्ट होते हैं जो हमारे ब्रेन को कंट्रोल करना चाहता हैं। ताकि हम ज्यादा से ज्यादा टाइम उनकी एप्स पर समय बिताएं जिससे वह ज्यादा पैसा कमा सके। ज्यादा टाइम बिताएंगे तो वह ज्यादा ऐड हमें दिखा पाएंगे और ज्यादा पैसा बना पाएंगे। इसके लिए वह साइकोलॉजिकल ट्रिक्स यूज कर रहे हैं।
Randomness
इन वीडियोस में randomness होती है।हम नहीं जानते कि अगली वीडियो किस तरह की होगी। जैसे जुआ में देखने को मिलता है।
फिर इसमें हमें वही वीडियो दिखाई जाती है जो हमारे इच्छा (interest) पर होगी। यह प्लेटफार्म आंकते रहते हैं कि आपने किस टाइप की वीडियो देखी और कितनी देर देखी।
Endless loop
यह अपने एल्गोरिथम/एप्स को इतना स्मार्ट बनाते हैं कि वह खुद-ब-खुद और बेहतर होता रहता है। हमारी हैबिट्स और इंटरेस्ट के बारे में जानता रहता है। और फिर endless loop होगा।
मतलब आप अगर बाइक रेसर होते और उसकी स्पीड से भी scroll करते जाएंगे तो भी यह शॉर्ट वीडियोस कभी खत्म नहीं होगी।
कुछ समय के लिए अच्छा फील करना
यह सब मिलकर हमारे दिमाग में डोपामिन (dopamine) करते हैं। यह एक केमिकल है जो दिमाग में तब रिलीज होता है जब खुशी हो या कोई अवार्ड मिले। यह छोटी वीडियोस हमें छोटी छोटी खुशी देते हैं जिससे यह डोपामिन निकलता है। उस केमिकल को रिलीज होने के बाद हमें अच्छा महसूस होता है और हम और अच्छा फील करने के लिए शॉर्ट वीडियोस स्वाइप करते रहते हैं।
किसी वीडियो में अगर डोपामिन पर फर्क नहीं पड़ता है लेकिन फिर भी आप scroll करते हैं क्योंकि इसमें पता नहीं होता कि अगली कैसी होगी तो फिर अगली वीडियो में जब फिर से से केमिकल रिलीज होगा तो फिर यह साइकिल चलता रहता है और घंटो बीत जाते हैं।
शॉर्ट वीडियो की शुरुआत
शॉर्ट वीडियो का सिलसिला टिक टॉक (tiktok) से शुरू हुआ था और टिक टॉक के बैन होने के बाद बाकी कंपनीयों ने 30 सेकेंड से कम वाली वीडियोस की इंपोर्टेंस के बारे में जाना और फिर यूट्यूब इंस्टाग्राम जैसे बड़े ब्रांड भी इस फीचर के साथ आए और अभी तक ग्रो कर रहे हैं।
शॉर्ट वीडियोस की तरफ creator क्यों खींच (अट्रैक्ट) हो रहा है?
Influencer इस तरह की वीडियोस बनाने के लिए इसलिए खींचे चले आ रहे हैं क्योंकि एक तो लंबी वीडियो बनाने की जगह में शॉर्ट वीडियोस बनाने में कम मेहनत लगेगी और दूसरा कि यहां पर कोई लिमिट नहीं है कि आपकी वीडियो कितनी भी हिट हो सकती है। दूसरे टाइप की वीडियो में भी वायरल होती है लेकिन यहां पर वायरल होने के चांस काफी ज्यादा है।
Creators को इतनी मेहनत नहीं करनी पड़ेगी लेकिन रिजल्ट लंबी वीडियो से भी अच्छा आएगा तो इस कारण सभी इनफ्लुएंसर और यहां तक कि ब्रांड्स भी इस तरह के कंटेंट का सहारा ले रहे हैं। वहीं हमने लिखा कि इसमें ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती वीडियो डालने में तो नई-नई यूजर भी कंटेंट बना रहे हैं।
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शॉर्ट वीडियोस के दुष्प्रभाव
अब इसके शॉर्ट वीडियोस के प्रभाव देख लेते हैं।
शॉर्ट वीडियोस के प्रभाव कुछ इस प्रकार हैं की यह स्ट्रेस बढ़ाता है क्योंकि जब आप हर दिन टाइम स्पेंड करेंगे लिमिट से ज्यादा तो आपको आपके अंदर से बुरा महसूस होगा की टाइम वेस्ट कर दिया। स्टूडेंट्स का भी कुछ ऐसा ही हाल है। इन वीडियोस को mostly 13-21 तक के युवा देख रहे हैं।
यह उम्र ब्रेन डिवेलप करने की होती है। नई चीजें सीखने की और अपने करियर के बारे में सोचने की होती है लेकिन छोटी वीडियो के प्रभाव की वजह से उनके भी जिंदगी और करियर पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। युवा का अटेंशन स्पैन कम हो रहा है अगर वो कुछ सीखने के लिए लंबी वीडियो देखेंगे या अपने करियर के लिए कुछ करेंगे तो फिर उनका फोकस थोड़ी देर तक ही बन पाएगा।
आप बहुत ज्यादा कंटेंट शॉर्ट वीडियोस में कम समय में देखते हैं। । और जब आप अगली वीडियो देखेंगे पिछली वीडियो का कंटेंट याद नहीं रहेगा। बहुत कम जानकारी आपको याद रहेगी क्योंकि वह जानकारी इतनी गहरी नहीं होगी जो आपने शॉर्ट वीडियोस से ली। Anxiety, dipression, distribted sleep यह सब कुछ इसके इफेक्ट है।
कैसे शॉर्ट वीडियोस से बचें
अब शॉर्ट वीडियो के इन प्रभावों को आप किस तरह कम कर सकते हैं।
सबसे पहले तो जिंदगी में (goal) होना चाहिए। आपकी लाइफ में सबसे जरूरी यही है। जिसको रास्ता नहीं पता हो उसको भटकाना बहुत आसान है लेकिन जिसको अपना रास्ता अच्छे से मालूम है वह व्यक्ति भटक ही नहीं सकता। और कोई भटकाना चाहे तो भी वह अपना रास्ता जानता है। वह distract नहीं होगा। इसलिए लाइफ में और कैरियर में गोल बनाएं।
कब शॉर्ट वीडियोस से बचना चाहिए
अगर इन शॉर्ट विडियोज को देखने से आपकी लाइफ और काम पर कोई असर नहीं पड़ रहा तो कुछ करने की जरूरत नहीं है लेकिन अगर असर पड़ रहा है तो आपको इसे कम करना चाहिए। शॉर्ट वीडियोस देखना गलत नहीं है यहां पर बहुत से लोग वैल्यू ऐड करने वाली नॉलेज देते हैं। और बहुत टैलेंट इन प्लेटफार्म की वजह से सामने भी आए हैं लेकिन अगर आप इसका एक लिमिट से ज्यादा यूज करेंगे तो यह उतना ही खतरनाक है जितनी बाकी चीजें या काम जो कि अगर एक लिमिट से ज्यादा करें तब खतरनाक हो जाते हैं।
उम्मीद है यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा धन्यवाद जय हिंद