एक बार एक आदमी था जो तूफान में एक खत्म हो चुके जहाज से बचकर अब एक टापू पर था। वह हर रोज भगवान से प्रार्थना करता कि वह उसे बचाने के लिए किसी ना किसी को भेज दे। मगर अफसोस की कोई नहीं आया।
कई महीने गुजर गए और उसने अपने आप टापू पर रहना सीख लिया। इस दौरान उसे टापू से चीजें इकट्ठे करके अपनी झोपड़ी बनाई और इक्ठा करके बाकी सामान झोपड़ी में जमा करता गया। एक दिन जब वह खाने की तलाश से वापस अपनी झोपड़ी पर आया तो उसने देखा कि उसकी झोपड़ी में आग लग गई है और उसके सारा सम्मान और उसकी झोपड़ी जल रही है। उसकी हर चीज आग के धुएं में जल रही थी बस जो कपड़े उसने पहने थे वह बच गए।
पहले तो वह हैरान था मगर फिर उसे गुस्सा आने लगा वह आग बबूला हो गया गुस्से में उसने आसमान को अपनी मुट्ठी दिखाई और चिल्ला चिल्ला कर भगवान पर गुस्सा करने लगा। भगवान आपने मेरे साथ ऐसा क्यों किया? आपने मेरे साथ ऐसा क्यों किया? मैं इतने महीने से आपको प्रार्थना कर रहा हूं कि किसी को भेजकर मुझे यहां से बचा लीजिए मगर कोई नहीं आया और अब मेरा सब कुछ जल चुका है आप मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं? आपने होने ही कैसे दिया?
वह अपने घुटनों के बल गिर कर रोने लगा तभी उसने देखा कि समुंदर से एक जहाज उसकी तरफ आ रहा था फिर जब जहाज पर बैठकर शहर वापिस जा रहा था तो उसने जहाज के कप्तान से पूछा आपने मुझे कैसे खोजा कप्तान ने कहा हम अपनी यात्रा पर थे। जब टापू से निकलता धुंआ दिखाई दिया तो हमने सोचा जाकर देखते हैं और तुम हमें मिल गए।
जिंदगी में हमें कई चुनौतियां तकलीफ और मुसीबतें मिलेंगी। जो भी तकलीफ और मुसीबतें आपके रास्ते में आएंगी याद रखना वह मुसीबत ही आपको आपके मंजिल तक पहुंचाने का जरिया है। उन मुश्किलों से डरे नहीं बल्कि उनका बिना डरे सामना करें और यह बात हमेशा अपने दिमाग में रखें कि मुसीबतें नहीं होंगी तो उस मंजिल को पाने में मजा भी नहीं होगा। मुसीबतें, परेशानियां यह सब हमारी क्षमता को जांचती है और हमें और मजबूत बनाती है किसी भी परेशानी और किसी परिस्थिति के लिए किसी दूसरे को ना कोसे बल्कि शुक्रिया करें। क्योंकि जितना आपके पास है कईयों के पास उतना भी नहीं है
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